Krishna Janmashtami 2023 : बोकारो शहर से गांव तक धूमधाम से मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, मंदिरों में उमड़ी भीड़ 

Krishna Janmashtami बोकारो नगर सहित आस पास क्षेत्रों में गुरुवार को भाद्र माह की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने दिन भर व्रत रख शाम को मंदिरों में जाकर विधिवत पूजा अर्चना की और सुख शांति समृद्धि की कामना की। 

 

न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता

Bokaro: Krishna Janmashtami बोकारो नगर सहित आस पास क्षेत्रों में गुरुवार को भाद्र माह की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने दिन भर व्रत रख शाम को मंदिरों में जाकर विधिवत पूजा अर्चना कर सुख शांति समृद्धि की कामना की। बोकारो के सेक्टर 2बी स्थित कृष्णा मोड़ के राधा कृष्ण मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। बीएसएल कर्मियों द्वारा पिछले 53 वर्ष से इसका आयोजन किया जा रहा है। इस बार भी खास तैयारी है। सेक्टर 9, सेक्टर 8, चास, चीरा चास, सेक्टर 4, सेक्टर 12 सहित अन्य इलाकों में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया।

6 से 11 सितंबर तक विभिन्न कार्यक्रम

6 सितंबर से 11 सितंबर तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन तय किया गया है। पूजा का इस राधा कृष्ण मंदिर का खासा महत्व है। इसके प्रति लोगों का काफी श्रद्धा है। इस मंदिर के कारण ही इस जगह का नाम कृष्णा मोड़ पडा है। यहां 1970 में बीएसएल कर्मियों द्वारा पहली बार जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया था। तब से आज तक यह परंपरा जारी है। इस बार भी खास आयोजन किया जा रहा है।

दो दिन मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी पर्व

प्रायः कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 2 दिन मनाया जाता है। बता दें की कुछ अनुयायी जन्माष्टमी पर्व के दिन रोहिणी नक्षत्र के दिन मध्यरात्रि तक भगवान कृष्ण की उपासना करते हैं। वहीं कुछ अनुयायी जन्माष्टमी पूजा जन्म के अगले दिन करते हैं। इसलिए दो दिन जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। अधिकांश लोग आधी रात को जन्माष्टमी मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। भक्त भगवान कृष्ण के प्रति कृतज्ञता और भक्ति दिखाने के लिए उपवास रखते हैं। 

दही मटका फोड़ का होता है खेल 

चूंकि श्रीकृष्ण को माखन खाने का शौक था, इसलिए लोग दही मटका फोड़ का खेल खेलते हैं, जिसमें दही भरा मिट्टी का बर्तन जमीन से ऊंचाई पर बांधी जाती है। इसके बाद मटकी फोड़ने का कार्यक्रम चलता है। 

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