25 July Nyay Sammelan: सामाजिक न्याय के लड़ाई की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा, ओबीसी भागीदारी और न्याय सम्मलेन

25 July Nyay Sammelan: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 25 जुलाई को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाला ‘ओबीसी भागीदारी और न्याय सम्मलेन’! इस सम्मलेन का उद्देश्य अन्य पिछड़ावर्ग (ओबीसी) समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों को संबोधित करना है.

 

लेखक : एचएल दुसाध

(बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष)

 न्यूज इंप्रेशन 

Delhi: पिछले कुछ महीनों में जो आयोजन बड़े पैमाने पर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किये हैं, उनमें संभवतः शीर्ष पर हो सकता है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 25 जुलाई को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाला ‘ओबीसी भागीदारी और न्याय सम्मलेन’! इस सम्मलेन का उद्देश्य अन्य पिछड़ावर्ग (ओबीसी) समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों को संबोधित करना है. तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि यह सम्मलेन ओबीसी वर्ग के अधिकारों की लड़ाई को नई उर्जा प्रदान करने के साथ सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा. गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता अमित चावड़ा के अनुसार,’ ओबीसी राष्ट्रीय सम्मलेन राहुल गांधी के सामाजिक न्याय के मुद्दे और उन समुदायों के कल्याण पर केन्द्रित करेगा, जो देश भर में आबादी का बड़ा हिस्सा हिस्सा हैं. हमारे नेता वर्षों से उनकी आवाज उठाते रहे हैं और सरकार ने उनका मुकाबला करने के लिए जाति जनगणना की घोषणा की. लेकिन इस तरह के सर्वेक्षण की आवश्यकता अभी थी, दो साल बाद नहीं, क्योंकि इससे सरकार को सामाजिक वितरण की स्पष्ट तस्वीर मिल सकेगी. इस तरह के आंकड़ों का उपयोग सामाजिक कल्याण नीतियों को अधिक न्याय संगत तरीके से तैयार करने के लिए किया जा सकता है. यह हमारे नेता की न्याय अवधारणा का हिस्सा भी है. ’चावड़ा का यह बयान बताता है कि 25 जुलाई को ओबीसी सम्मलेन में जाति जनगणना का मुद्दा भी जोर-शोर से उठेगा!

पूरे देश की निगाहें टिक गई हैं सम्मेलन पर

सम्मलेन में मंडल आयोग के रिपोर्ट की सभी सिफारिशें लागू करने का प्रस्ताव भी पास होने की चर्चा है. बहरहाल सम्मलेन में देशभर के ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेसी नेता-कार्यकर्त्ता शामिल होंगे. इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राहुल गांधी के मिशन मैन के रूप में मशहूर डॉ. अनिल जयहिंद पूरे देश का दौरा कर रहे हैं. कर्णाटक के बंगलुरु में हुई ओबीसी सलाहकार परिषद् की बैठक में इस आयोजन को लेकर जारी निर्देश के बाद इस की अहमियत और बढ़ गई है. इसीलिए इस पर पूरे देश की निगाहें टिक गई हैं ! स्मरण रहे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय को लेकर अपनी राजनीतिक रणनीति को मजबूत करने की दिशा में कांग्रेस पार्टी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 15 जुलाई को बेंगलुरु में ‘ओबीसी सलाहकार परिषद’ का गठन किया है. इस काउंसिल में पार्टी के 24 वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है. आगामी चुनावों को देखते हुए संगठनात्मक दृष्टि से यह कांग्रेस की सामाजिक न्याय के एजेंडे को धार देने की यह कोशिश मानी जा रही है.कांग्रेस के ओबीसी विभाग के चेयरमैन अनिल जयहिंद को इस परिषद का संयोजक बनाया गया है, जबकि जितेंद्र बघेल को सचिव नियुक्त किया गया है.

एडवाइजरी काउंसिल में इन्हें किया गया है शामिल

इस एडवाइजरी काउंसिल में जिन प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है, उनमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (राजस्थान) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) जैसी प्रभावशाली शख्सियतें शामिल हैं. इनके अलावा सचिन पायलट, बीके हरिप्रसाद, नारायणस्वामी, अमित चावड़ा, महेश गौड़, वीरप्पा मोइली, पूनम प्रभाकर, गुरदीप सप्पल, अरुण यादव, श्रीकांत जेना, सुभाषिनी यादव, एस ज्योतिमानी, विजय वेट्टीवार, अजय कुमार लल्लू, धर्मेंद्र साहू, हिना कावरे और अदूर प्रकाश को इस एडवाइजरी काउंसिल में शामिल किया गया है.

कार्यक्रमों को ओबीसी समाज की आकांक्षाओं के अनुरूप ढालना

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि यह काउंसिल न केवल ओबीसी वर्ग के मुद्दों पर सुझाव देगी, बल्कि पार्टी के भीतर ओबीसी नेताओं की भूमिका को और मजबूत करने में भी सहायक होगी. इसका उद्देश्य पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को ओबीसी समाज की आकांक्षाओं के अनुरूप ढालना है. बेंगलुरु के केपीसीसी कार्यालय , भारत जोड़ो भवन और एक निजी होटल में एआईसीसी सलाहकार परिषद् की पहली की बैठक हुई जो दो दिनों तक चली, जिसमे समानता और समावेशन के लिए एक रोड मैप तैयार किया गया, जो पार्टी के अंदरूनी सूत्रों द्वारा ओबीसी को सशक्त बनाने के लिए ‘ एक नए राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रतीक है’. 16 जुलाई को कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में एआईसीसी ओबीसी सलाहकार परिषद् में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव अपनाया गया, जिसे बेंगलुरु घोषणापत्र कहा जा रहा है.पहला और मुख्य प्रस्ताव तेलंगाना में अपनाए गए मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, जाति जनगणना की मांग के लिए एक राष्ट्र व्यापी अभियान शुरू करना है. दूसरा प्रस्ताव आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा ख़त्म करना है, जिससे शिक्षा, सेवा, राजनीतिक और अन्य क्षेत्रों में ओबीसी के लिए उपयुक्त आरक्षण सुनिश्चित हो सके. एक अन्य प्रमुख प्रस्ताव निजी संस्थानों में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने से जुड़ा हुआ रहा. इस विषय में सिद्धारमैया ने कहा था,’ तीसरा प्रस्ताव यह है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के अनुसार निजी शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए आरक्षण होना चाहिए.’ इसके अतिरिक् ओबीसी सलाहकार परिषद कुछ अन्य प्रस्ताव भी पास हुए. मसलन 25 जुलाई, 2025 को होने वाले महासम्मेलन को सफल बनाया जाए.

सम्मेलन का उद्घाटन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे करेंगे

सम्मेलन का उद्घाटन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे द्वारा किया जाएगा, और समापन संबोधन नेता विपक्ष तथा न्याय योद्धा राहुल गांधी जी के द्वारा किया जाएगा. प्रत्येक राज्य की राजधानी में कांग्रेस के ओबीसी नेताओं के साथ नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें ओबीसी मुद्दों सहित जाति जनगणना पर चर्चा होगी . देश भर की सभी ओबीसी समुदायों तक पहुंच बनाई जाए और संगठनात्मक तथा चुनावी: दोनों स्तरों पर कांग्रेस विचारधारा के अनुरूप नेतृत्व का विकास किया जाए. ओबीसी पार्टी कार्यकर्ताओं को सामाजिक न्याय पर सार्वजनिक विमर्श को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाए. कांग्रेस ओबीसी को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के प्रतिबद्ध है, यह तो 2023 के रायपुर अधिवेशन के बाद राहुल गांधी की गतिविधियों से साबित हो गया था . सबको पता है अठारहवीं लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अपनी अधिकाश चुनावी सभाओं में दोहराया था, ’आर्थिक और सामाजिक अन्याय सबसे बड़ा मुद्दा है और भारत को बेहतर बनाना है तो आर्थिक और सामाजिक न्याय लागू करना होगा.’ वह सडकों पर लाखों की तादाद में उमड़ी भीड़ से लगातार सवाल करते रहे कि देश में 500 कम्पनियाँ हैं, उनमे कितनों के मालिक और मेनेजर दलित, आदिवासी और पिछड़े हैं? कितने हास्पिटल, कॉलेज , विश्वविद्यालय, अखबार और मीडिया संस्थान दलित, आदिवासी और पिछड़ों के हैं? वह जगह- जगह आर्थिक और सामाजिक अन्याय के लिए टॉप की 3-5% आबादी को जिम्मेवार ठहराते हुए ओबीसी सहित तमाम वंचित बहुजनो को ललकारते हुए कहते रहे, ’ऐ 73 प्रतिशत वालों , ये देश तुम्हारा है. उठो,जागो और आगे बढ़कर अपना हक़ ले लो! बची- खुची कसर लोकसभा चुनाव के लिए जाए जारी कांग्रेस के न्याय पत्र ने कर दिया. पांच न्याय, 25 गारंटियों और 300 वादों से युक्त कांग्रेस का घोषणापत्र राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रति वंचित वर्गों के भरोसे को तुंग पर पहुंचा दिया. अगर चुनाव में सत्ताधारी पार्टी हेराफेरी न की होती, इंडिया गत्ग्बंधन सत्ता में होता. बहरहाल पहले से ही वंचित अवाम के साथ पिछड़ों का भरोसा जीत चुकी कांग्रेस ने 15 जुलाई को ‘ओबीसी सलाहकार परिषद’ का गठन कर पिछड़ों के भरोसे में और इजाफा कर लिया है . भरोसे में इजाफा निकट भविष्य में ‘ओबीसी आइडियोलॉजिकल एडवाइजरी कमिटी ’ के गठन की घोषणा करके भी किया है. बहरहाल कांग्रेस के प्रति ओबीसी के भरोसे में जो लगातार इजाफा हुआ है, उसका प्रबल प्रतिबिम्बन 25 जुलाई को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ओबीसी समुदाय की भारी भीड़ के रूप में हो सकता है. कांग्रेस के प्रति बढ़ते भरोसे को देखते हुए ही ओबीसी की बहुचर्चित पत्रिका बसावन इंडिया की ओर से सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के समक्ष 7 सूत्रीय निम्न अपील जारी किया है.

सामाजिक न्याय के कुछ बिन्दुओ को एजेंडे में शामिल करने की अपील

‘बसावन इंडिया’ टीम की ओर से माननीय राहुल गाँधी जी से अनुरोध है कि सामाजिक न्याय के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ को अपने एजेंडे में शामिल करें:-

महिला आरक्षण में ‘कोटा के भीतर कोटा’ के सिद्धांत को लागू करते हुए आबादी के अनुसार ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं को उनका समुचित प्रतिनिधित्व मिले, जिसे वर्तमान बीजेपी सरकार ने पूरी तरह नजर अंदाज किया है;

2. मंडल आयोग की 40 सिफारिशों में से अब तक केवल दो ही सिफारिशें लागू की गई हैं कांग्रेस सरकार सत्ता में आने पर आप मंडल आयोग की सभी सिफारिशों को लागू करने की ठोस कार्य योजना बनाएं;

3. आरक्षण में क्रीमीलेयर और वर्गीकरण जैसे निर्णयों को लागू करने से पहले सामाजिक सांख्यिकीय डाटा की अनिवार्यता को मान्यता दें कांग्रेस इस पर पुनर्विचार करे ताकि बिना आँकड़ों के ओबीसी , एससी और एसटी समाज के अधिकारों में कटौती न हो;

4. सरकारी नौकरियों की लगातार हो रही कटौती और निजीकरण की तीव्र गति ने वंचित समाज के युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है ऐसे में यह जरूरी है कि शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने के साथ-साथ, निजी क्षेत्र में भी सामाजिक न्याय आधारित आरक्षण लागू करने की माँग को बुलंद करें;

5. ठेका व टेंडर प्रणाली में सामाजिक न्याय की भागीदारी सुनिश्चित हो ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग को सरकारी ठेकों, सप्लाई, ठेकेदारी व निर्माण कार्यों में आरक्षण मिले, ताकि आर्थिक संसाधनों पर भी वंचित समाज की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके;

6.जातीय जनगणना के बाद जितनी आबादी उतना हक मिलना सुनिश्चित हो, सिर्फ नौकरियों में ही नहीं, बल्कि सरकारी व्यय और कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था में भी समावेशी प्रतिनिधित्व जरूरी है जैसे सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व का अधिकार है, वैसे ही प्राइवेट सेक्टर में भी ओबीसी, एससी और एसटी समाज को सम्मानजनक भागीदारी मिलें और

7.दुनिया के टॉप विश्वविद्यालयों जैसे हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, एमआईटी, स्टैनफोर्ड, कैम्ब्रिज, आदि विश्वविद्यालय में 10000 ओबीसी , एससी और एसटी समाज के बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रति वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्कॉलरशिप्स उयलब्ध हो! हमें विश्वास है कि माननीय राहुल गांधी जी सामाजिक न्याय के इन ऐतिहासिक सवालों पर स्पष्ट और प्रतिबद्ध रुख अपनाते हुए वंचित समाज की आवाज को बुलंद करके विश्वास को और मज़बूती देंगे! ‘बसावन इंडिया’ के उपरोक्त अपील में पिछड़े ही नहीं, बल्कि भारत के सम्पूर्ण वंचित समुदायों की भावना का निर्भूल रिफ्लेक्सन हुआ है. अगर उपरोक्त अपील को सम्मान देते हुए कांग्रेस सत्ता में आने पर लागू करने का मन बना लेती है तो आर्थिक और सामाजिक विषमता का खात्मा कर गांधी, आंबेडकर, नेहरु के सपनों के समतामूलक भारत निर्माण का जो लक्ष्य लेकर राहुल गांधी आगे बढ़ रहे है, वह शतप्रतिशत पूरा हो जायेगा!

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *