पांच दिनों से चल रहा है बुढ़ी बांधना के सोहराई पर्व सम्पन्न, अंतिम दिन मांदर व ढोल की थाप पर थिरके ग्रामीण
Kasmar: सोहराई परब के आखिरी दिन मंजूरा के सपाहीटांड़ में कुड़मि समुदाय के सैंकड़ों ग्रामीणों ने गुड़ी (बुढ़ी) बाँदना हर्षोल्लास के साथ मनाया। बरद खुंटा के दूसरे दिन को गुड़ी बांधना के नाम से जाना जाता है। इस दिन फेटाइन बछिया को जो लंबे समय से गर्भधारण नहीं कर पाती है, उसे खूंटा जाता है और विभिन्न प्रकार के गीत गाकर उसके गुड़ी यानी गर्भाशय को बांधन किया जाता है, जिसे वह जल्दी गर्भधारण कर सके। ऐसी पुरानी मान्यताएं है। इस प्रकार हर्षोल्लास के साथ 5 दिन तक सहराई/बांदना परब का आयोजन किया गया। सहराई परब कुड़मि जनजाति के बसाहट क्षेत्र यानी बृहद छोटानागपुर पठार के सभी कुड़मि गांवों तथा सभी कुड़मि घरों में आदि काल से एक ही साथ एक ही रिवाज से परब को मनाते आए हैं। मौके पर पूर्व मुखिया नरेश कुमार महतो, द्वारिका प्रसाद महतो, मुरलीधर महतो, प्रकाश महतो, निमाय महतो, संजय महतो, रामकिशुन महतो, मिथिलेश महतो केटिआर, राजेश महतो, टुपकेश्वर महतो, मकुंद महतो, महावीर महतो, गोपाल महतो, दुर्गाचरण महतो, रविशंकर मेहता, भागीरथ महतो, सुफल महतो, सहदेव झारखंडी, उमाचरण महतो, बड़े महतो, टंकू महतो, उमेश महतो समेत सैंकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।