घर तोड़ने का विरोध : भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत हो अधिग्रहण, इसके बाद रेलवे करें काम, तीर्थनाथ आकाश ने कहा—-धनघरी के विस्थापित रेलवे की जमीन पर नहीं है बसा

BOKARO : जिला व रेलवे प्रशासन ने संयुक्त रूप से बीते 24 सितंबर को विस्थापित गांव धनघरी के 16 घरों के तोड़ने के विरोध में मंगलवार को घरों के मलबे के उपर विस्थापितों ने जनसभा की। सभा को संबोधित करते हुए झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के तीर्थनाथ आकाश ने कहा कि धनघरी के विस्थापित रेलवे के जमीन पर नहीं बसा है। धनधरी व अन्य विस्थापित गांवों में रहने वाले लोगों ने राज्य सरकार को प्लांट निर्माण के लिए जमीन दी है। तभी जाकर आज बोकारो इस्पात संयंत्र का निर्माण हुआ है। अगर विस्थापितों ने अपनी जमीन नहीं दिए होते तो आज प्लांट निर्माण नहीं होता। लेकिन प्रबंधन ने विस्थापितों की जमीन रेलवे को ट्रांसफर कर धनघरी के लोगों को अतिक्रमणकारी बना दिया है। यह सरासर गलत है। धनघरी के 16 घरों को तोड़ना कहीं से भी न्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने घरों को तोड़कर विस्थापितों को गाली देने का काम किया है। विस्थापित कतई बर्दाश्त नहीं करने वाले है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत नया नोटिफिकेशन निकालकर जमीन का अधिग्रहण करे। तभी जाकर धनघरी में काम करने दिया जाएगा। समिति के जयराम महतो ने कहा कि जिला प्रशासन ने पुलिस फोर्स लगाकर धनघरी के घरों को तोड़ना, यह मानवता को शर्मसार किया है। धनघरी व अन्य विस्थापित गांवों को राज्य सरकार ने बीएसएल को पोजिशन नहीं दिया है। इसके बावजूद भी बीएसएल प्रबंधन ने रेलवे को कैसे ट्रांसफार कर दिया है। यह जांच का विषय है। रेलवे की जमीन बताना कही से भी न्याय संगत नहीं है। धनघरी गांव जहां आज है, 1932 के सर्वे सेटलमेंट में दर्ज है। मौके पर धनघरी गांव के साथ-साथ कुंडौरी, शिबुटांड, पंचौरा, बेलडीह, बास्तेजी, बैधमारा, महुआर आदि विस्थापित गांवों लोग उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *