कभी था दोस्ताना, गुजारे थे साथ-साथ, अब चला रहें है जुबानी जंग, एक विधायक दूसरे विधायक के चरित्र का कर रहे उजागर, जनता बनी है तमाशबीन
Bokaro: एक वक्त था, जब कहा करते थे, बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा, वो ख्वाबों के दिन, वो किताबों के दिन, सवालों की रातें, जाबाबो के दिन, कई साल गुजारे साथ-साथ, कभी गलबहियां लगाए, एक ही दल में थे, आज अपने जुबानी जंग से एक दूसरे के बांह उखाड़ने पर तुले हैं—-आखिरकार सब कुछ उल्टा क्यों हो गया? मामला गोमिया के वर्तमान आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो और झामुमो के पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद के बीच का है। एक दूसरे बीच तीन चार दिनों से जुबानी जंग जारी है। दोनों ही अपनी जुबान की कमान से घायल करने वाले तीर चला रहे हैं। ज्यादा घायल कौन होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन जुबानी जंग में तल्ख टिप्पणी के साथ बात तू-तड़ाक से उल्लू की आंख तक पहुंच गई है। कभी दोस्ताना रिश्ता निभाने वाले अब तो एक दूसरे के अवैध कमाई से अर्जित संपत्ति की खुदाई कर सार्वजनिक कर रहे हैं।
आजसू में रहे थे योगेंद्र प्रसाद :
विधायक बनने से पहले डा लंबोदर महतो रामगढ़ से आजसू विधायक सह पूर्व मंत्री वर्तमान में गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के आप्त सचिव थे। उस समय पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद भी आजसू में ही थे। आजसू के टिकट पर योगेंद्र प्रसाद 2009 में गोमिया से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। वर्ष 2014 में जब आजसू और भाजपा का गठबंधन हो गया, उस समय समझौता के कारण योगेंद्र प्रसाद को गोमिया से टिकट नहीं मिला। तब वे आजसू छोड़कर झामुमो का दामन थाम लिए और पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े और भारी मत जीते। 2018 फरवरी में श्री प्रसाद की एक केस में सदस्यता चली गई, तब 2018 में ही 6 माह बाद गोमिया विधानसभा का मध्यावधि चुनाव हुआ। लंबोदर महतो नौकरी छोड़कर आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन योगेंद्र प्रसाद की पत्नी बबीता देवी से चुनाव हार गए। 2019 में झारखंड विधानसभा के आम चुनाव में डॉ लंबोदर महतो विधायक निर्वाचित हुए। यहीं से समय गुजरता गया और दूरीयां बढ़ती गई। क्षेत्र में दोनों ही सक्रिय हैं, लेकिन राज्य में झामुमो की सरकार है।नतीजतन योगेंद्र प्रसाद की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ नजदीकी है। यही वजह है कि अधिकारी इन्हें तव्वजो देते हैं।
सरकारी कार्यक्रम से शुरू हुआ जंग:
अभी आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चल रहा है। विधायक प्रोटोकॉल के तहत मंच पर होते हैं, तो वहीं हर कार्यक्रम में पूर्व विधायक हेल्प डेस्क के माध्यम से मौजूद रहते हैं। बीते 17 अक्टूबर को बोकारो के सेक्टर 5 पुस्तकालय मैदान में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम था। मुख्यमंत्री के मंच पर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी थे। विधायक लंबोदर महतो के संबोधन के बाद जब जगरनाथ महतो माइक पकड़े तो 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति पर सवाल खड़े किए जाने के मामले पर लंबोदर महतो के चुटीले अंदाज में आलोचना की। इस भाषण के वीडियो को झामुमो कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इधर पूर्व विधायक भी बिजली पानी की समस्या को लेकर सवाल खड़े करते रहते हैं। तमिलनाडु में सात लड़कियों के फंसे होने के मामले को भी तूल दिया गया।
20 अक्टूबर से पूर्व विधायक पर लगाया आरोप :
शिक्षा मंत्री और पूर्व विधायक की टिप्पणी से आहत विधायक लंबोदर महतो ने 20 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस कर शिक्षा मंत्री और पूर्व विधायक पर जमकर बरसे। विधायक लंबोदर महतो ने यहां तक कह दिया कि ‘उल्लू को अपनी बड़ी आंख नहीं दिखती है’। विधायक डॉ लंबोदर ने कहा कि योगेंद्र प्रसाद को किसी भी तरह का संज्ञा व सर्वनाम लगाया जाए, वह कम पड़ जाएगा। कहा कि पूर्व विधायक अपनी ईमानदारी की बात करते हैं तो कोयला चोरी के आरोप में उनकी सदस्यता क्यों चली गई थी। दूसरे को पाठ पढ़ाने चले हैं। ये ऐसे नेता है, जब तक आजसू पार्टी का नाम नहीं लेते, तब तक इनके पेट में दर्द होता रहता है। 2019 में हराया था और 2024 में भी हराऊंगा। ऐसे नेता को बोरिया बिस्तर समेत मूरबन्दा (रामगढ़) भेजने का काम गोमिया की जनता करेगी। इतना ही मर्द है तो अपने गृह जिला रामगढ़ से चुनाव लड़कर दिखाएं। टीटीपीएस ललपनिया में 41 प्रतिशत कमीशन का खेल होता है। पूर्व विधायक ने उक्त परियोजना में अपने संबंधियों के नाम से वेंडर कोड़ ले रखा हैं, जिससे स्थानीय संवेदकों को वहां काम नहीं मिल रहा है। इसके अलावा भी पूर्व विधायक पर कई आरोप लगाएं।
पूर्व विधायक ने भी किया पलटवार :
पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने भी अपनी तरकश से तीर निकाले और और दनादन प्रहार करना शुरू कर दिया। प्रसाद ने कहा, ‘धरनाधारी विधायक हैं, रोते-फिरते हैं’। गोमिया के वर्तमान विधायक लंबोदर महतो और उनके आका गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी एक लंबे समय से सत्ता का मलाय खा खाकर अहम, घमंड़ से भर गये थे, लेकिन आज सत्ता से दूर हो गये तो बौखलाहट से अनाप-शनाप बयानबाजी करते फिर रहे हैं. जब 15 वर्षों तक झारखंड में सत्तासीन रहे, तब जनता की समस्याओं व विकास कार्यों पर ध्यान नहीं गया था। सत्ता से हटते ही जनता की याद आने लगी। ये पढा लिखा कहलाने वाले कौन से कॉलेज में कौन से विषय में डिग्री लिये हैं, सरकार व जनता को नहीं बताते हैं। लंबोदर महतो की सरकारी सेवक के रूप में प्रतिमाह वेतन कितनी थी और उसके अनुसार उनके पास वर्तमान में कुल कितनी संपत्ति होनी चाहिए। रांची में दो-दो जगहों पर आलिशान महल, पेटरवार, गोमिया और चतरोचट्टी तथा कसमार के खैराचातर व बगदा में कई एकड़ भूमि है। दोनों के आरोप प्रत्यारोप ऐसा की एक दूसरे के चरित्र का प्रमाण पत्र दे रहें हैं। सवाल है कि दोनो के जुबानी जंग का कब होगा इतिश्री।