अलविदा: पांच बार बोकारो के विधायक रहे दादा समरेश इस दुनियां में नहीं रहे, लोगों ने कहा—समाज के लिए थे कोहिनूर 

Bokaro: बोकारो के पूर्व विधायक व भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे समरेश सिंह का निधन हो गया। गुरुवार की सुबह यानी 1 दिसंबर को उन्होंने सेक्टर 4 सिटी सेंटर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। निधन की खबर सुनकर विधायक, पूर्व विधायक, अन्य राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के नेता व कार्यकता, प्रशासनिक पदाधिकारी, कारोबारी, चिकित्सक, आमजन उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। पुष्प अर्पित कर लोगों ने श्रद्धांजलि दी। दिनभर लोगों का आना जाना लगा रहा। पूरा माहौल गमगीन रहा। एक ऐसी शख्शियत जो सभी के चहेते थे।

लंबे समय से बीमार थे:

दादा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते 12 नवंबर को सांस लेने में तकलीफ के चलते रांची में भर्ती हुए थे। बीते मंगलवार को डॉक्टरों ने उनकी हालत में सुधार होते हुए देख डिस्चार्ज कर दिया था। उसके बाद वे घर पर ही थे। उनका अंतिम संस्कार 2 दिसंबर को चंदनकियारी प्रखंड में पैतृक गांव देबुलटांड़ में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मालूम हो कि उनकी पत्नी भारती सिंह का देहांत 28 अगस्त 2017 को हो हुआ था।

 प्रौद्योगिकी मंत्री बने :

झारखंड अलग राज्य बनने पर 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और वह राज्य के प्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नियुक्त किए गए थे। फिर 2009 में बाबूलाल मरांडी के साथ उनकी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर विधायक बने। बाद में, भाजपा में शामिल हो गये, पर 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े और चुनाव हार गए। जनसंघ व भाजपा की जमीन झारखंड में मजबूत करने वाले समरेश सिंह ने कभी भी झुककर राजनीति नहीं की। अटल बिहारी बाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं के प्रिय पात्र होने के बावजूद जब भाजपा में उनकी नहीं जमी तो उन्होंने तुरंत पार्टी को छोड़ दिया। इसके बाद अपना दल बनाकर भी बोकारो से विधानसभा चुनाव लड़े और विधायक बने। राजनीतिक जीवन के अंतिम सफर में वह समरेश सिंह को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि उनका जीवन हमेशा राजनीतिक संघर्ष का ही रहा।

झारखंड के कद्दावर एवं लोकप्रिय जन नेता के निधन पर लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया। बोकारो के एक राजनीतिक अध्याय और एक युग की समाप्ति हो गई है। बोकारो ने अपना अभिभावक खो दिया है। किसी ने कहा कि दादा हम सभी बोकारो वासी की चहेते थे। उनकी छवि बोकारो में क्रांतिकारी आंदोलनकारी एवं हर समय बीएसएल कर्मचारियों एवं चास के जनता के न्याय के लिए संघर्षरत थे। व्यक्तिगत सामाजिक रूप से समाज के लिए कोहिनूर थे। जाति पाती धर्म समुदाय से उपर उठकर कार्य करते थे। इसलिए जनता ने उन्हें दादा कह कर सुशोभित किया था। बोकारो झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी जगह दूसरा दादा अब पैदा नहीं हो सकता। उनको इतिहास याद रखेगा।

भाजपा के कमल निशान का दादा ने किया सुझाव: 

 समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य थे। मुंबई में 1980 में आयोजित भाजपा के प्रथम अधिवेशन में कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव दादा ने दिया था, केंद्रीय नेताओं ने इस चिन्ह पर मुहर लगाई थी। 1977 के चुनाव में कमल निशान पर जीत हासिल की थी। 1985 में दादा ने इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर भाजपा से बगावत कर 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था। बाद में इसका विलय भाजपा में कर दिया गया।

 

दादा का राजनीतिक सफर:

1980 : भाजपा से जुड़े

1985 : बोकारो विधानसभा से विधायक।

 1990: बोकारो विधानसभा से विधायक।

2000 : झारखंड वनांचल कांग्रेस पार्टी से बोकारो विधानसभा से विधायक।

2009 : झाविमो के टिकट पर बोकारो विधानसभा से विधायक।

2014 : निर्दलीय चुनाव लड़ व हारे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *